इस पटल की बढ़ती लोकप्रियता

इस पटल की बढ़ती लोकप्रियता
विगत माह (नवम्बर 24 दिसम्बर 23) में इस शिक्षांजलि पटल को 31 देशों के लोगों ने देखा जिसमें सर्वाधिक (67%) भारत से थे और शेष (33%) अन्य 30 देशों से। भारत में 25 शहरों से इस पटल को देखा गया जिसमें लगभग आधे दर्शक 3 प्रमुख शहरों,  दिल्ली,   मुंबई और जयपुर के थे और बाकी ...

निज भाषा के महत्व पर श्री भारतेंदु हरिश्चन्द्र के उद्गार

निज भाषा के महत्व पर श्री भारतेंदु हरिश्चन्द्र के उद्गार
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (९ सितंबर १८५० – ७ जनवरी १८८५) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। भारतेन्दु हिन्दी में आधुनिकता के पहले रचनाकार थे। इनका मूल नाम हरिश्चन्द्र था, भारतेन्दु उनकी उपाधि थी।  हिन्दी साहित्य में आधुनिक काल का प्रारम्भ भारतेन्दु हरिश्चन्द्र से माना जाता है। भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में प्रसिद्ध ...

रामचरितमानस के लंकाकांड का एक प्रभावी अंश

रामचरितमानस के लंकाकांड का एक प्रभावी अंश
सामान्यत: प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ श्री रामचरितमानस के लंकाकांड को असुरों के साथ संग्राम और अंत में रावण वध की कथा से संबंधित माना जाता है और सुंदरकांड की तरह इसका बारंबार पाठ नहीं किया जाता लेकिन इसमें उच्च जीवन मूल्यों को प्रेरित करने वाला एक प्रभावी अंश है जो नीचे हिंदी भावार्थ के साथ प्रस्तुत ...

हिंदी गिनती – संख्या व शब्दों में (1 से 100 तक) – Hindi Numerals in Numbers and Words (1 to 100)

हिंदी गिनती - संख्या व शब्दों में (1 से 100 तक) - Hindi Numerals in Numbers and Words (1 to 100)
हिंदी में 1 से 100 तक की गिनती की हर संख्या के विभिन्न प्रचलित शाब्दिक स्वरूपों को ध्यान में रखते हुए  हर संख्या का एक इष्टतम शब्दरूप निम्न तालिका में प्रस्तुत है। हिंदी में संख्याओं को शब्दों में लिखने में एकरूपता की कमी है और एक ही संख्या को शब्दों में लिखने में कई कई ...

कुछ शेर – 2

कुछ शेर - 2
दादा (स्वर्गीय श्री दयाल चन्द्र सोनी) के कुछ और शेर प्रस्तुत हैं –   (8) कोई मुरादे हरकत पानी में है न अपनी धरती का ढाल ख़ुद ही सागर को जा रहा है। 22-12-1957 (9) सूरज की रोशनी से रोशन है गर ज़मीं यह तो है ज़मी से रोशन सूरज की रोशनी भी।। 31-03-1958 (10) ...

आओ देश बनाएँ

आओ देश बनाएँ
आओ देश बनाएँ रचयिता – श्री दयाल चन्‍द्र सोनी आओ देश बनाएँ उजड़ा बाग लगायें फिर से बिछुड़ा नीड़ बसाएँ           ।।1।।   डाल डाल में हो हरियाली पात पात पर हो ख़ुशहाली आज चमन के हम ख़द माली कली कली खिल जाये       ।।2।।   सुस्‍ती छोड़ उठो सदियों की ठंड दूर हो हिम कणियों की ...

बसंत–3

बसंत–3
बसंत लेखक -दयाल चन्द्र सोनी वह कहां लुका पावन बसंत, वह कहां उमंग हुलास कहां वे कहां लताएं अलि मंडित वे पत्र पुष खग कहां किस महा शिशिर का यह प्रकोप क्‍यों भरता ठंडी आह पवन यों तुहिन दग्‍ध सुनसान म्‍लान क्‍यों उजड़ा यह नंदन कानन कब से छाया है यह विषाद क्‍या तुम्‍हें होश ...

बसंत – 2

बसंत - 2
बसंत लेखक -दयाल चन्द्र सोनी कोई कलि हो तो मुसकाए कोई अलि हो तो बलि जाये लो ऋतु बसंत की आयी कोई कोयल हो तो गाये कोई रूठा हो मन जाये कोई ठंडा हो गरमाए जीवन की लाली छायी कोई दिल हो तो खिल जाये। पतझड़ के क्‍लेश भुलाए फिर नव परिधान सजाये टेसू की ...

बसंत – 1

बसंत - 1
आओ बसंत लेखक -दयाल चन्द्र सोनी आओ बसंत, आओ बसंत हम कबसे तुम्‍हें बुलाते हैं ये गीत तुम्‍हारे गाते हैं क्‍यों आनाकानी करते हो मानो मुस्काओ तो बसंत आओ बसंत आओ बसंत। हम घोर शिशिर में कॉंप चुके हम पत्र पुराने झाड़ चुके नंगे भिखमंगे ठूंठ बने हम खड़े तुम्‍हारे दर बसंत आओ बसंत आओ ...

कुछ शेर – 1

कुछ शेर - 1
दादा (स्वर्गीय श्री दयाल चन्द्र सोनी) ने समय समय पर कुछ शेर लिखे थे उनमें से कुछ यहॉं प्रस्तुत हैं – (1) मेरी नज़र से आपको परहेज़ है अगर मेरे ज़हन में आके आप सोचते हैं क्‍यों। 18-01-1957 (2) क़ातिल ने शास्‍त्र पढ़ कर बकरे से यूं कहा होने हलाल से तो बेहतर है ख़ुदकुशी। ...

बचपन का वह संग हमारा

बचपन का वह संग हमारा
अपनी मातृ संस्था, विद्याभवन, उदयपुर के पूर्व छात्रों (Old Boys) ने सन् 1934 में अपनी एक संस्था (Old Boys Association) बनाने का संकल्प लिया जिसके माध्यम से वे आपस में और संस्था से जुड़े रह कर एक दूसरे के काम आ सकें तो इसका नाम स्वर्गीय श्री दयाल चंद्र सोनी ने ‘विद्याभवन विद्याबंधु संघ’ सुझाया ...

दादा – दूसरी पुण्य तिथि

दादा - दूसरी पुण्य तिथि
दादा की दूसरी पुण्‍य तिथि दिनांक 15.3.2010 को थी। इस अवसर पर कार्यक्रम व्‍यावहारिक कारणों से दिनांक 16.3.2010 को आयोजित किया गया। जिसके अंर्तगत  विद्याभवन बेसिक स्‍कूल के प्रांगण में गत वर्ष लगाए गए पौधों की सार संभाल की गई और 51 पौधे नए लगाए गए।                कार्यक्रम के प्रारंभ में श्री जगत ...

शिक्षकों की तेजस्विता का त्यक्तिमार्ग

शिक्षकों की तेजस्विता का त्यक्तिमार्ग
नया शिक्षक/टीचर टुडे जुलाई-सितम्‍बर 1977 में प्रकाशित श्री दयाल चंद्र सोनी का लेख   स्‍वैच्छिक शिक्षण संस्‍थाओं के प्रबन्‍ध में उन संस्‍थाओं के कार्यकर्ताओं का समुचित प्रतिनिधित्‍व होना चाहिए ऐसी मांग प्राय: उठा करती है और यह मांग निर्विवाद रूप से उचित है। परन्‍तु इस मांग के मान लिये जाने से शिक्षकों की परिस्थिति में ...

बुनियादी शिक्षण में केन्द्रस्थ और क्षेत्रस्थ समवाय की पारस्परिक प्रणाली

बुनियादी शिक्षण में केन्द्रस्थ और क्षेत्रस्थ समवाय की पारस्परिक प्रणाली
बुनियादी तालीम, अप्रेल 1961 में प्रकाशित श्री दयाल चंद्र सोनी का लेख   शिक्षक की समस्या सर्व विदित है कि बुनियादी शिक्षा का मौलिक तत्व समवाय है और विद्यार्थी के हस्तोद्योग तथा सामाजिक और भौतिक जीवन के द्वारा जो शिक्षा दी जाती है उसे समवाय शिक्षा कहा गया है। परन्तु एक शिक्षक को जब कुछ ...

साक्षरता का मिशन

साक्षरता का मिशन
एक कहावत है कि बैलगाड़ी जब चलती है तो उसके नीचे-नीचे उसकी छाया में एक कुत्ता भी कभी-कभी चलता है। पर इस तरह गाड़ी के नीचे चलते हुए कुत्ते को यह भ्रम हो जाये कि गाड़ी उसके बल पर या उसके चलाने से चल रही है तो यह बिल्‍कुल गलत होगा। स्कूल अपनी जगह ठीक ...